लगता है सुर्ख़ियों
में रहना पाकिस्तान की पुरानी बेशुमार आदतों में से एक पसंदीदा आदत बन गई है| अक्सर पाकिस्तान भारत में आतंकी घुसपैठ
और क्रिकेट खेल जगत में सट्टेबाज़ी के लिए सुर्ख़ियों
में छाया रहता है और कभी अपने शीर्षस्थ नेताओं के बड़बोलेपन तथा "सर
कलम" करने जैसे फ़तवे के लिए तो कभी तख़्ता पलट कर सत्ता में आने और पूर्व
मंत्रियों पर महाअभियोग लगा कर देश से निकालने जैसे कामों के लिए पाकिस्तान हमेशा
ही सुर्ख़ियाँ बटोर ही लेता है| कभी अमेरिका
पाकिस्तान को बिना बताए उसके ही क्षेत्र में छुपे लादेन को ढेर करके उसे चर्चा में
ला देता है तो कभी आम नागरिकों की दयनीय स्थिति और उनके मौलिक अधिकारों का हनन, पूरे विश्व में चर्चा का विषय बन जाता
है|
यूँ कहें जहाँ
पाकिस्तान वहाँ सूर्खियां या फिर जहाँ सूर्खियाँ वहाँ पाकिस्तान! मतलब पाकिस्तान
और सुर्ख़ियों का साथ चोली-दामन जैसा हो गया है|
पिछले कुछ दिनों से
पाकिस्तान फिर से सुर्ख़ियों में हैं पर इस बार सुर्ख़ियों की वज़ह कोई कुख़्यात मंसूबा नहीं बल्कि "प्रेम" है| अरे हाँ... सही पढ़ा है आपने; मैंने प्रेम ही लिखा है और प्रेम भी ऐसा
वैसा साधारण सा नहीं है, जिस पर कोई भी दो टके
का मौलवी या पंचायत मुँह उठाकर सर कलम करने का फतवा ज़ारी कर दे| यह प्रेम जन्मा है राष्ट्रपति ज़रदारी
के बेटे बिलावल और विदेश मंत्री हिना रब्बानी के बीच| बिलावल और हिना दोनों ही खानदानी राईस
और रसूखदार हैं और दोनों का देश की राजनीति में अच्छा ख़ासा रूतबा और दबदबा है|
यह रिश्ता किसी को
मंजूर नहीं है खासकर राष्ट्रपति ज़रदारी को तो बिल्कुल भी नहीं| वह नहीं चाहते उनका २४ वर्षीय बेटा ३५
वर्षीय हिना (दो बच्चों की माँ) से शादी करे|
जहाँ
एक ओर हिना के पति फिरोज़ हिना-बिलावल की प्रेम-कहानी को मात्र एक अफ़वाह बता रहे
हैं वही दूसरी ओर राष्ट्रपति ज़रदारी भी हिना पर राजनीतिक और गैर राजनीतिक दबाव
बना रहे हैं| अब तो इस
प्रेमी-जोड़े पर मीडिया भी गिद्द की तरह नज़रे गढ़ाए बैठी है और खोद खोद कर
खबरें निकाल रही है| जिससे दोनों परिवारों
की पेशानी पर बल पड़ने लाज़मी हैं|
इन दोनों का प्रेम
पाकिस्तान के लिए सिरदर्दी का सबब बन सकता है| इनका प्रेम समाज
और राजनीति में भारी उठ-पटक भी करने में सक्षम नज़र आ रहा है| पाकिस्तान को अभी से एक भारी बदलाव के
लिए खुद को तैयार कर लेना चाहिए| परन्तु इस
प्रेम-प्रसंग को लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता और साथ ही यह प्रेम-प्रसंग कुछ अंदेशाओं
को जन्म भी दे रहा है| यह प्रेम-कहानी
बेनाज़ीर-ज़रदारी के प्रेम के जैसी लग रहे है|
जैसे
बेनाज़ीर, ज़रदारी के लिए
राजनीतिक महकमों में घुसने का "बोर्डिंग पास" साबित हुई थी, ठीक वैसे ही बिलावल, हिना के लिए राष्ट्रपति की गद्दी तक
पहुँचने का सिर्फ ज़रिया न बन जाए|
जैसा कि दीगर है हिना एक अति महात्वाकांक्षी महिला हैं, जो राजनीति में अपना
एक ऊँचा कद बनाने की जुगत में हैं और आहिस्ता आहिस्ता वो अपने मकसद में कामयाब भी
हो रही हैं और इस समय हिना का नाम बिलावल के साथ जुड़ना, हिना के लिए ही पतन का
कारण बन सकता है पर अगर हिना की नज़र राष्ट्रपति की गद्दी पर है तो यह रिश्ता
उन्हें वहाँ तक पहुँचने में काफ़ी मददगार साबित हो सकता है| वहीं अगर बिलावल भी सिर्फ हिना की ज़िस्मानी ख़ूबसूरती
पर मर मिटे हैं तो उन्हें इसका खामियाज़ा राजनीतिक और निज़ी तौर पर भुगतना पड़ सकता
है|
यदि दोनों का यह प्रेम सतही और ज़िस्मों की हदों पर महसूस किया जा रहा
है या किसी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसका हश्र चाँद मुहम्मद और फ़िज़ा जैसा ही होगा|
परन्तु यदि यह प्रेम सच्चा है और सभी सामजिक वर्जनाओं को तोड़कर अपने
मुकाम तक पहुँचता है तो सच में पाकिस्तान के काले इतिहास में यह घटना सदियों तक
चमकती रहेगी|
हिना का अभी अभी बयान आया है कि उनके और बिलावल के बीच
कुछ नहीं हैं| हिना के इस बयान पर किसी का दबाव साफ़ साफ़ नज़र आ रहा है| अब देखना
होगा कि बिलावल पर इसका क्या असर होता है क्योंकि इतनी जल्दी हिना और बिलावल मानने वाले तो नही हैं|
पाकिस्तान के इतिहास में एक जबरदस्त मोड़ आने वाला है| इस सम्बन्ध पर पाकिस्तान जो भी कदम उठाएगा वह इतिहास में दर्ज होना तो तय ही है|
दिलचस्प होगा यह देखना कि पाकिस्तान नया इतिहास बनाता है या
बेनाज़ीर-ज़रदारी का इतिहास दोहराता है|
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