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Sunday 12 May 2013

सोशलमीडिया पर छाए राष्ट्रभक्त


भारत अगले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है, जहाँ तक मैं देख रही हूं युद्ध होने की पूरी सम्भावनाएँ भी अपनी चरम पर हैं और लाख कोशिशों के बावज़ूद, भारत यह युद्ध रोकने में सफल नहीं होगा और इस बार उसकी हार सुनिश्चित है क्योंकि इस बार भारत, अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश या चीन से नहीं बल्कि अपने ही देश और उसमें रहने वालों से लड़ने वाला है|

आजकल सोशलमीडिया खासकर फेसबुक पर स्वघोषित देशभक्तों एवं भारतीय संस्कृति एवं धर्म के रक्षकों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है| घण्टों फेसबुक पर बैठकर समाज सुधारने पर ज़ोर दे रहे हैं| हर व्यक्ति स्वयं को दूसरे से ज़्यादा श्रेष्ठ देशभक्त एवं महान समाज-सुधारक सिद्ध करने में प्रयासरत कर हैं| ये नवनिर्मित, स्वनिर्मित देशभक्तों प्राय: “देश की मौजूदा हालात, मोदी का भावी एजेंडा, पश्चिमी देशों की कुसभ्यता, युवा पीढ़ी का पथभ्रष्ट होना एवं सम्पूर्ण नारी-जाति के कर्तव्य” पर लम्बी लम्बी बातें और वक्तव्य देते मिलते है.
और सबसे ज़्यादा भाषण तो धर्म पर देते हैं, जबकि न तो किसी को कुरआन के “क” का पता मालूम है और न किसी को गीता के “ग” का ज्ञान है, लेकिन धर्म पर लंबी चौड़ी बातें करने में ये लोग कहीं से पीछे नज़र नहीं आते. सबके हाथों में मज़हबी झंडा है| इंसानियत तो ना जाने कहाँ खो गई हैं|

सिर्फ़ फेसबुक पर ही इतनी धर्म चर्चा होती है., जबकि वास्तविक जीवन में किसी के पास वक्त नहीं है धर्म और मज़हब के नाम पर लड़ने के लिए|  वास्तविक जीवन में तो लोगों को सिर्फ़ रोटी की चिंता है क्योंकि रोटी से ही पेट भरता है धर्म के प्रवचन से नहीं| आम जनता को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, किसने वंदे मातरम बोला और किसने टोपी पहनी| न जाने कितने कारखाने हैं जो हिन्दूओं के है लेकिन काम मुसलमान करते हैं और न जाने कितने हिन्दू मजदूरों और कर्मचारियों के मालिक मुस्लिम समुदाय से हैं| लेकिन उन मजदूरों और कर्मचारियों को इससे फ़र्क नहीं पड़ता, क्योंकि उनके लिए सिर्फ़ दो वक्त की रोटी ही उनका ईमान और धर्म है|

ये सम्प्रदायिक मसले सिर्फ़ ठूंस ठूंस के भरे पेटों और ऊँची गद्दी पर बैठे लोगों का “टाइम पास” है, चाहें वो मोहन भागवत हों या अकबरुद्दीन ओवैसी| ये सिर्फ़ सोची समझी राजनीति के तहत सिर्फ़ भड़काऊ भाषण देते हैं और भाषण देकर बुलेटप्रूफ कारों में बैठकर निकल जाते हैं और छोड़ जाते हैं हमें लड़ने मरने के लिए... आज़ादी के बाद देश में न जाने कितने ही सम्प्रदायिक दंगे हुए लेकिन आज तक किसी नेता या किसी बड़े रसूखवाले का कोई परिजन मरा? 
ये नेता और रसूखदार सिर्फ़ अपनी गद्दी और सत्ता के लिए लड़ाते हैं धर्म के नाम पर, हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर... वंदेमातरम और सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ताँ के नाम पर| भारत में केवल यही मुद्दे बचे हैं जिन पर लड़ाकर सत्ता पाई जा सकती है, इसलिए ये हमें राम और रहीम के नाम पर एक दूसरे का गला काटने को बोलते हैं| हमें ज़्यादा खतरा पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों से नहीं क्योंकि देश में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़ने वाले नामुरादों से है|| जब घर में अपनों के बीच ही दुश्मनी सिर उठाने लगे तो बाहरी दुश्मनों की क्या ज़रूरत ???

किसी को कोई चिंता नहीं कि देश में लड़कियाँ सुरक्षित नहीं हैं, बाल-मजदूरी अपने चरम है. शहरों हो या गाँव कहीं सड़क नहीं, लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है. किसान फाँसी लगा रहा है. सीमा पर खड़ा जवान बेकार में शहीद हो रहा है. गरीब बच्चे न तो भर पेट खाना खा रहे और न स्कूल जा रहे हैं. भ्रष्टाचार चरम पर है. चारों तरफ  लूट घसोट पड़ी... सरकार भ्रष्टतम स्तर के नीचे जाकर भ्रष्टाचार में लिप्त है.

लेकिन इन मुद्दों पर किसी की कोई ज़बान नहीं खुलती और अगर कोई कुछ बोलता भी है तो सिर्फ़ इतना कि ये सरकारी मुद्दे है, सरकार ध्यान नहीं दे रही है. सरकार भ्रष्ट है.

भारतीयों के पास सिर्फ़ धर्म के नाम पर लड़ने और लड़ाने का कॉपीराइट है. शायद इन मुद्दों पर लड़ने के लिए भाड़े की जनता को बुलाना होगा क्योंकि देश के वासियों को हिन्दू-मुस्लिम बनने से ही फुर्सत नहीं है... भारतीय क्या बनेगें|
हिंदू-मुस्लिम का मामला चाहें शांत भी हो जाए पर कुछ "पेज" के एडमिन और कुछ "स्वघोषित राष्ट्रभक्त" जब देखों तब हवा देते हैं| अभी तक लड़ने के लिए अयोध्या का राम मंदिर था, जिसपर हर नेता, हर आदमी सियासत खेल रहा था| उसका मामला अभी शांत नहीं हुआ कि “ताज महल” पर झंडा लेकर खड़े हो गए| चलो मान लेते हैं कि आज का ताज महल किसी जमाने में “तेजोमहालय” था... तो अब क्या करोगें? राम मंदिर की तरह इसे भी तोड़ डालोगे? चलो तोड़ भी दिया तो क्या वहाँ "ताज महल" जैसा भव्य शिवालय बनवा पाओगे? किस में है इतनी औकात... बीजेपी में, मोदी में या फिर फेसबुक पर बैठे तुम लोगों में???

जो जहाँ जैसा है उसे वही रहने दो, बंद करो ये नौटंकी, बंद करो लोगों को भड़काना| अडवाणी, ओवैसी, बर्क, भागवत जैसे लोगों को छोड़ो और उनके दिखाए धर्म को छोड़ो और आगे बढ़ो देश के लिए, देश की शांति के लिए... चैन-ओ-अमन के लिए हाथ उठाओ न कि किसी के कत्ल के लिए!
देश के लिए कुछ करना है तो जमीन पर आओ, सरहदों पर खड़े होकर रक्षा करो देश की सीमाओं की| देश की राजनीति से भष्टाचार मिटाने का प्रयास करो... न कि फेसबुक पर बैठकर लम्बे लम्बे सम्प्रदायिक भाषण देंकर स्वयं को बुद्धिमान, धार्मिक एवं राष्ट्रभक्त घोषित करने झूठी कोशिश| दूसरों की लिखे लेखों को अपने नाम से चिपकाना बंद करो| जनता को जागरूक करो न कि पथभ्रष्ट!!! आप अगर अभी नहीं चेते तो इसका खामियाजा आपके साथ आपकी आने वाली पीढ़ी को भी झेलनी पड़ेगी|

जिसे देखो राष्ट्रभक्त बना हुआ है... भारत माता का झंडा ऊँचा किए हुए है... ऐसे बोलते और दिखाते है जैसे वो ही भारत के भाग्यविधाता है,,,, भारत माता के बाप है... इस टाइप की नौटंकी बंद करो|

अरे बाप बाद में बनना... पहले ढंग की औलाद ही बन जाओ...!!!
कुछ तो शर्म करो!!!